नि:स्वार्थ होकर दूसरों की भलाई के लिए काम करते रहेंगे तो जीवन में सुख शांति जरूर मिलती है Receiver News Team team@receivernews.com Friday, January 6, 2023, 12:08 PM दान-पुण्य करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। आज भी धार्मिक स्थलों के आसपास और अपने घर के आसपास काफी लोग दान करते हैं। दान करते समय एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए, दान सिर्फ जरूरतमंद लोगों को और ऐसी जगह पर करना चाहिए, जहां हमारे दान का सही उपयोग हो, हमारे दान से लोगों की भलाई हो सके। ये बात हम एक लोक कथा से समझ सकते हैं। लोक कथा के मुताबिक पुराने समय में एक धनी भगवान की सेवा करने के लिए रोज रात को गांव के मंदिर में बहुत सारे दीपक जलाता था। उसी गांव में एक निर्धन व्यक्ति था। उसके घर के पास एक गली थी। रात में उस गली में अंधेरा काफी अधिक रहता था, जो लोग वहां से गुजरते थे, उन्हें अंधेरे में पत्थर दिखाई नहीं देते और ठोकर लग जाती थी। इसलिए उस गरीब व्यक्ति ने रोज रात में गली में एक दीपक जलाना शुरू कर दिया। दीपक की रोशनी से आने-जाने वाले लोगों को बहुत राहत मिली। संयोग से धनी और निर्धन व्यक्ति की मृत्यु एक साथ हुई। दोनों की आत्माएं अच्छे कर्मों की वजह से स्वर्ग पहुंची, लेकिन स्वर्ग में ऊंचा स्थान गरीब व्यक्ति की आत्मा को मिला। ये देखकर धनी व्यक्ति की आत्मा ने भगवान से कहा कि भगवन् मैं तो आपके मंदिर में रोज बहुत सारे दीपक जलाता था, फिर भी आपने इस गरीब व्यक्ति को ऊंचा स्थान क्यों दिया है? भगवान ने उससे कहा कि तुम दोनों रोज दीपक जलाते थे, लेकिन ये गरीब व्यक्ति ऐसी जगह दीपक जलाता था, जहां दीपक की सबसे ज्यादा जरूरत होती थी, ये काम बिना स्वार्थ के करता था। जबकि तुम मंदिर में दीपक जलाते थे और तुम इच्छा होती थी कि लोग इस काम के लिए तुम्हारी तारीफ करे। तुम दिखावा करके मंदिर में दीपक जलाते थे। जो काम नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है, वही असली पुण्य होता है। गरीब व्यक्ति के एक दीपक से गली में रोशनी हो जाती थी, लोगों को रास्ता दिखाई देता था। इस व्यक्ति के पुण्य कर्म में इसकी नीयत दूसरों की भलाई करने की थी। इसी वजह से इसे तुमसे ऊंचा स्थान मिला है। कथा की सीख- हमें दान-पुण्य ऐसे लोगों को और ऐसी जगहों पर ही करना चाहिए, जहां उसकी सबसे ज्यादा जरूरत हो। तभी वह दान शुभ फल प्रदान करता है। Tags :