यूकेजी प्रवेश के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण इंटरव्यू Receiver News Team team@receivernews.com Thursday, February 23, 2023, 02:12 PM उस बच्ची को समझ नहीं आ रहा था कि उसे वहाँ क्यों लाया गया है। कमरे में उस बच्ची के माता-पिता, शिक्षक और प्रधानाचार्या थीं। प्रधानाचार्या (प्रिंसिपल) ने बच्ची के साथ बातचीत करना शुरू किया, और हाँ, अंग्रेज़ी में! यह अब तक लिखे गए सबसे यादगार इंटरव्यू में से एक है... "आपका नाम क्या है?" "सीता" "अच्छा। मुझे कुछ बताओ - जो तुम जानती हो।" "मैं बहुत कुछ जानती हूँ। आप क्या सुनना चाहती हैं?" "अरे!" दाखिला न मिलने का कोई कारण नहीं छोड़ रही है यह लड़की...इसी डर से सीता की माँ ने स्थिति को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन प्रिंसिपल ने उन्हें रोक दिया। बच्ची की ओर मुड़ते हुए उन्होंने कहा, "कोई भी कविता या कहानी सुनाओ जो तुम्हें आती हो।" सीता ने फिर से पूछा, "आप क्या सुनना चाहती हैं, कविता या कहानी?" "ठीक है। मुझे एक कहानी सुनाओ।" "आप कौनसी कहानी सुनना चाहती हैं? जो मैंने पढ़ी है या जो मैंने लिखी है?" आश्चर्यचकित होकर उन्होंने पूछा "ओह! आप कहानियाँ लिखती भी हो?" "क्यूँ न लिखूँ मैं?" अब वहाँ मौजूद सभी लोग हतप्रभ रह गए, लेकिन प्रिंसिपल उसकी बेबाकी से प्रभावित हो गईं। "अच्छा, जो तुमने लिखी है, वो कहानी सुना दो।" सीता ने कहा, "एक दिन रावण ने सीता का अपहरण कर लिया और उसे श्रीलंका ले गया।" शुरुआती दृश्य प्रभावित करने में असफल रहा, लेकिन फिर भी उन्होंने बच्ची को आगे बढ़ने के लिए कहा। "राम ने हनुमान से कहा, सीता को बचाने के लिए हमारी मदद करो! हनुमान भी राम की मदद करने के लिए तैयार हो गए।" "फिर?" "अब, हनुमान ने अपने मित्र, स्पाइडरमैन को बुलाया।" कहानी में ऐसे मोड़ की किसी को उम्मीद नहीं थी! "क्यों?" "क्योंकि भारत और श्रीलंका के बीच बहुत सारे पहाड़ हैं, लेकिन अगर हमारे पास स्पाइडरमैन है, तो हम उसके जाल की रस्सियों की मदद से आसानी से जा सकते हैं।" बच्ची ने उत्साहित होकर समझाया। प्राचार्या - "लेकिन हनुमान तो उड़ सकते हैं ना?" "हाँ। लेकिन उनके एक हाथ में संजीवी पर्वत है इसलिए वह तेज नहीं उड़ सकते ना।" सीता ने अपनी मासूम आवाज में ऐसे कहा, जैसे यह बहुत ही स्वाभाविक बात हो। सब अवाक थे और कमरे में शांति हो गई। थोड़ी देर बाद सीता ने पूछा, "क्या आप लोग आगे सुनना चाहेंगे या नहीं?" "ठीक है, सुनाओ!" "हनुमान और स्पाइडरमैन श्रीलंका गए और सीता को बचा लिया। सीता ने दोनों को धन्यवाद कहा!" "क्यों?" "जब कोई आपकी मदद करे तो आप धन्यवाद कहेंगे ही।" उसने जल्दी से कहकर कहानी आगे बढ़ाई। "अब सीता ने हनुमान से हल्क (hulk) को बुलाने को कहा।" सब हैरान थे। बच्ची ने श्रोताओं में जिज्ञासा को महसूस करते हुए कहा, "अब वह सीता है, तो इसलिए उसे सुरक्षित रूप से राम के पास पहुँचाने के लिए हल्क को बुलाया।" शिक्षिका इस सोच पर खुश हुईं कि उसने सीता को उठाने के लिए बलशाली हल्क का सोचा। उन्होंने उत्सुकता से पूछा, "क्यों? पर हनुमान तो खुद सीता को सुरक्षित ले जा सकते थे?" "हाँ। लेकिन उन्हें एक हाथ में संजीवी पर्वत और दूसरे हाथ में स्पाइडर-मैन को पकड़ना था ना," सीता ने समझाने के लिए अपने हाथ आगे लाते हुए कहा। कोई भी अपनी मुस्कान पर काबू नहीं रख सका। इस बार उसकी माँ ने उसे धीरे से कहा, "संजीवनी पर्वत बेटा।" "ठीक है! तो जब वे सभी भारत आए तो वे मेरे दोस्त अक्षय से मिले!" "अब यह अक्षय कहाँ से आ गया," प्राचार्या ने मुस्कुराते हुए पूछा। "क्योंकि यह मेरी कहानी है और मैं इसमें किसी को भी ला सकती हूँ।" प्राचार्या नाराज नहीं हुई, बल्कि कहानी के अगले मोड़ की प्रतीक्षा करने लगीं। "फिर सभी भारत के लिए रवाना हुए और बैंगलोर के मजेस्टिक बस स्टॉप पर उतरे!" अब प्राचार्या ने पूछा, "वे मजेस्टिक बस स्टॉप पर क्यों उतरे हैं?" "क्योंकि वे रास्ता भूल गए...और हल्क को एक विचार आया और उन्होंने डोरा (dora) को बुलाया!" "कौन डोरा?" कमरे में मौजूद कुछ को डोरा के बारे में उसी समय पता चला! उन्होंने पहले कभी बच्चों के इस लोकप्रिय कार्टून चरित्र के बारे में नहीं सुना था। वहाँ उन्हें समझ आया कि डोरा भ्रमण करने व नक्शों का प्रयोग करने के लिए जानी जाती है, इसलिए कहानी में उसकी भूमिका रास्ता बताने की रखी गई थी। "डोरा आई और वह सीता को मल्लेश्वरम पाँचवे क्रॉस पर ले गई। बस कहानी खत्म! " उसने एक मुस्कान के साथ कहानी समाप्त की। प्रिंसिपल ने पूछा "मल्लेश्वरम पाँचवा क्रॉस क्यों?" "क्योंकि सीता वहीं रहती हैं और मैं सीता हूँ!" प्रिंसिपल बहुत प्रभावित हुई और उसने बच्ची को गले से लगा लिया। उसे यूकेजी में भर्ती कर लिया गया और उसे एक डोरा गुड़िया उपहार में दी गई। बच्चे वास्तव में विस्मित कर सकते हैं! लेकिन हम उनके पंखों को रचनात्मक रूप से खुलने नहीं देते। हम उनसे यही उम्मीद करते हैं कि वे चीजों को हमारे तरीके से करेंगे, न कि उनके अपने नजरिये से! आइए हर बच्चे को अपना काम करने की आजादी दें और उनके सपनों को सच होते देखें। हो सकता है कि हम भी कभी इस प्रकार की स्थिति से रूबरू हुए हों। Tags :